Tuesday 13 August 2013

छत्तीसगढ़ में आगमन


बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं था सो अपने ब्लॉगर दोस्तों की चिंता होने लगी की कहीं सारे दोस्त भूल न जाएँ ! सो कुछ लिखने बैठ गया ! पता चले कि किसी मित्र की पोस्ट पर कमेंट करें और वो रिप्लाई दे कि भाईसाहब आप कौन ?
वैसे मेरे पिछले कुछ महीने खतरनाक तरीके से बिजी गए ६ महीने प्रोजेक्ट कम्पलीशन का प्रेशर रहा ! बस खाना सोना और काम ही ध्यान रहा सो व्यस्तता की वजह से कुछ लिख नहीं पाया ! लेकिन पड़ सबको लेता था !

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घर  पर आये हुए ७ दिन ही हुए थे कि अचानक ही चाचा जी भागते हुए हमारे पास आये कि तुम्हारे लिए चेन्नई  से फोन है तो हमारे भी कान खड़े  हो गये ! फोन पर बात करने के बाद सभी घर के लोग मुझे घेरकर खड़े हो गए और लगे पूछने "" अब कहाँ ??" जब मैने कहा छत्तीसगढ़ >>>>>
 कुछ ने कहा दिमाग फिर गया है क्या तुम्हारा अभी कुछ दिन पहले ही न्यूज़ में दे रहे थे कि उन लोगों ने बड़े बड़े नेताओ को भी नहीं छोड़ा और तुम वहां अकेले जाओगे ! अब क्या करे भई नोकरी भी तो करनी है !
रात में अपना जादुई  बक्सा खोलकर बैठ गए कि बताओ भाई गूगल मैप रास्ता किधर से  है ??
अगले दिन अपनी पैकिंग करने के बाद हम तैयार थे !!
करीब पांच घंटे बस के सफ़र के बाद लोहपथगामिनी के स्टेशन पर पहुँच गए ! अब दो दिन में रिजर्वेशन तो होने से रहा सो जनरल का टिकट लेकर स्लीपर में चढ़ गए ,ऊपर की  एक खाली सीट पर अपनी दुकान लगाकर टी टी भाई साहब का इंतजार करने लगे ! आगे स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो मैंने सोचा की जनरल बोगी का हाल  भी देख लेते हैं ! जब मै जनरल बोगी के पास पहुंचा तो सुखद आश्चर्य हुआ कि इसमें तो स्लीपर से भी ज्यादा जगह खाली है ! फिर क्या जल्दी से अपनी दुकान समेटकर जनरल डिब्बे में  सवार हो गए ! बस फिर तो आराम से ऊपर वाली सीट पर दुकान लगाई और सामान को अपने पृष्ठ भाग से ढकते इधर उधर तकने लगे कि भई कोन शरीफ लग रहा  है और कोन जादूगर टाइप का है वैसे भी अधिकतर ट्रेन के जादूगर जनरल डिब्बे में  ही मिलते  हैं और मै भी थोडा खोजी टाइप का बंदा हूँ सो मैं भी इस तरह  के लोगों से अच्छी तरह से  वाकिफ  हूँ ! अच्छा जब मैंने पाया कि आस  पास कोई जादूगर उपस्थित नहीं है तो निश्चिंत होकर लेट गया वैसे भी यह यात्रा २६  घंटे की होने वाली थी ! ~*~*~*~*~*~ ~/~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
लेटते ही मै फ्लैशबैक में चला गया ~-~*~*~*~*~*~
अभी कुछ दिन पहले ही एक कंपनी में इंटरव्यू दिया था पहले चेन्नई बुला रहे थे जब मना किया तो दूरसंचार यन्त्र के द्वारा ही मेरी  सारी हिस्ट्री पता की फिर " i will call you back soon" कहकर फोन रख दिया ! सारे जरूरी कागजात "Scan"  माध्यम से भेज दिए थे ! अब निश्चिंत होकर झारखण्ड वाली कंपनी से resignation दिया और घर के लिए प्रस्थान कर दिया ! वैसे भी इस बार घर पर चार महीने बाद जाना हुआ था ! घर पर
Twin Cousin Sister (pic edited by one of best Friend)
पहुँचते ही मेरे चाचा के बच्चे जो ३ ,४  साल के हैं उन्होंने दादा दादा कहकर घेर लिया ! मुझे दिल में थोडा सुकून हुआ कि चलो इस बार बच्चों ने पहचान तो लिया वर्ना पिछली बार तो मुझसे डरकर अपनी मम्मी के पीछे छुप गए थे कि ये हमारे घर में नया प्राणी कोन आ गया ,जब उनकी मम्मी ने विश्वास दिलाया कि बेटा ये तुम्हारे दादा हैं तब जाकर वो सब  मेरे पास आये थे !
चाय """चाय ""चाय " एक कर्कश और जानी पहचानी आवाज ने मेरी तन्द्रा तोड़ दी ! घडी में समय देखा तो लगा अभी तीन घंटा ही कटा है ! हे भगवान मेरी नैय्या पार लगा दो ~! और बोल भी क्या सकता था  :( :( पीठ थोड़ी जकड गयी थी मैंने सोचा की स्पाइनल कॉर्ड को थोडा  स्ट्रेच कर लूं वर्ना आगे प्रॉब्लम हो जाएगी ! चलो थोड़े स्टेशन के नज़ारे ही ले लिए जाएँ ! वही सब देखे दिखाए कुछ भी खास नहीं >> लेकिन हाँ थोड़े जादूगर लोग पहचान में आ रहे थे ! वो सब सामान के साथ उनके मालिक पर भी ध्यान दे रहे थे ! कि सामान  के मालिक का ध्यान  किधर है, सामान और उनके मालिक के बीच की दूरी क्या है और  अगर दूरी ज्यादा है तो भागने का रास्ता साफ है या नहीं वगैरह, वगैरह ,
*/मुझे याद है कि एक बार मेरे परिचित Accountant साहब का लैपटॉप चलती ट्रेन से ऐसे ही एक जादूगर ने पार कर दिया था ! वो उनके सामने ही स्लो चलती ट्रेन से कूदकर फरार हो गया और वो कुछ नहीं कर सके "
ऐसे जादूगर उस सामान पर कभी भी हाथ साफ नहीं करेंगे जिसका मालिक उन्हें पता नहीं हो क्यूंकि वो मालिक उनके पीछे भी खड़ा हो सकता है ! :)
खैर जैसे तैसे अगले दिन शाम आठ बजे हमारी यात्रा संपूर्ण हुई !
पर परेशानियाँ अभी खत्म नहीं हुई थी -
रात का समय था , अनजान शहर, अनजान लोग, वो एक छोटा सा स्टेशन था , जब तक हमें वहां पहुँचाने वाली ट्रेन वहां रही तब तक स्टेशन पर  चहल पहल रही ट्रेन के जाते ही वहां सन्नाटा पसर गया, बहुत तेज बारिश हो रही थी ! हालात तब और बदतर हो गए जब हमने अपने रिसीवर से बात की तब वह बोला कि आज हम आपको लेने नहीं आ सकते क्यूंकि बारिश हो रही है और बुलेरो के ड्राईवर का कुछ भी पता नहीं है कल सुबह हम आपको रिसीव कर लेंगे तब तक आप किसी होटल में रुक जाइये ! ठीक है भाई उठाओ बैग और सर्च करो होटल, बारिश बहुत तेज थी रुकने के आसार नहीं थे सो स्टेशन पर रुकने के बजाये मैंने होटल सर्च करना ज्यादा मुनासिब समझा वैसे भी अब शरीर में ज्यादा जान नहीं रह गयी थी तो करो या मरो वाली स्थिति आ गयी थी ! बाहर निकलकर रिक्शा पता किया तो पता चला कि साहब ६ बजे के बाद यहाँ कोई रिक्शा नहीं मिलता ! होटल पता किया तो बताया गया कि ५०० मीटर दूर एक लाज है पर इस मूसलाधार बारिश में और वो भी सामान के साथ ५०० मीटर चलो कोई बात नहीं और कोई विकल्प भी नहीं था ! सारा इलेक्ट्रॉनिक सामान संभल कर वाटर प्रूफ कर लिए और चल दिए ! होटल  तक पहुँचते हुए अंदर तक भीग गया ! सामान अंदर रखकर चेक इन की फोरमल्टी पूरी करने के बाद तुरंत ही कमरे में जाकर  कपडे उतारकर सूखने डाले और साथ में खुद को भी सुखाने के लिए डाल दिया *~*~~*~*~*~*~*~*~

रात भर की बेहोशी वाली नींद के बाद सुबह जब आँख खुली तो हलकी  बारिश हो रही थी पर यहाँ की बारिश का कोई भरोसा नहीं  लग रहा था ! १२०० KM के सफ़र की थकावट और बारिश में भीगना ये दोनों ने अपना असर दिखाना प्रारंभ कर दिया था ! शरीर में हल्का बुखार और जुकाम प्रारंभ हो गया था ! कुछ भी खाने पीने का मन नहीं कर  था ! बारिश की वजह से दवाई लेने भी नहीं  सकता था ! शाम ४ बजे तक हमारा रिसीवर भी बुलेरो लेकर आ गया !
चलो जी चलते हैं ~*~* ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*


1 comment:

  1. Hmmm Achchha hai bhaijaan. Wehse kis dost ne pic edit ki ??? :p

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